मेरी नई राह
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तेरी राधा आज अकेली है कान्हा
ये दुनिया मुझ पर हसती है ,
ये अम्बर मुझ पर गिरता है ,
ये फूल भी मुझको चुभते है ,
तेरे बिन ये नयना हर पल बरसते है ,
तुम कब आओगे कान्हा
आ जाओ ना कान्हा
…………………..ये सखिया रास नही आती ,
ये यमुना गीत नही गाती ,
ये हवा गर्म सी लगती है ,
ये बारिश मुझको डसती है ,
विरहा का सागर अब थमता नही मुझसे ,
तुम कब आओगे कान्हा
आ जाओ ना कान्हा .
………………ये कोयल कौवा लगती है ,
ये मिश्री कडवी लगती है ,
ये रात मुझे अब दिनों जैसी ,
ये दिन मेरे है अधियारें अब ,
तेरी बशुरी की धुन तरसा रही है मुझको ,
तुम कब आओगे कान्हा
आ जाओ ना कान्हा .
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