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रात का अँधेरा ,कभी दिन में नहीं मिलता

मेरी नई राह
मेरी नई राह
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बस कुछ लम्हो की मेहमान होती है यें खुशियाँ

ग़मों के आने का  पैगाम होती है यें खुशियाँ

ना बुलाना कभी खुशियों को अपने घर

ये रुलाने का अंदाज ले आएँगी , हस कर

तनहाइयों में जो मज़ा है वो महफ़िलों में भी नहीं मिलता

जिस तरह रात का अँधेरा ,कभी  दिन में नहीं मिलता

गमो को  अपना साथी बना लो ,हमेशा साथ निभाएंगे

किसी और का दामन पकड़ा तो ये गम बड़ा रुलायेंगे

ना देखो  ऐसी रौशनी की किरणे

ये किरणे , बड़ा दर्द पहुचायेगी

गमो को  अपना साथी बना लो ,हमेशा साथ निभाएंगे

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