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सारी जिंदगी गवा दी हमने, बस दो पल कि छाया कि तलाश में

मेरी नई राह
मेरी नई राह
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सारी जिंदगी गवा दी हमने, बस दो पल कि छाया कि तलाश में
मिलती रही पथ पर धूप , बढ़ती रही आगे  , सोचा  छाया कही तो होगी
सारी जिंदगी गवा दी हमने, बस दो पल कि छाया कि तलाश में

दो पल की छाया में चली जिंदगी भर
और छाया नहीं मिली मेरी कब्र को भी
मेने क्यों नहीं समझा, धूप ही जिंदगी है
धूप में हि खुशियां है, छाया सिर्फ एक माया है

माया जाल हमने बनाया , और हम ही उसमे फस गए
निकले तो लगा ,छल किया हमने खुद से
सारी जिंदगी गवा दी हमने, बस दो पल कि छाया कि तलाश में
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सारी जिंदगी गवा दी हमने, बस दो पल कि छाया कि तलाश में

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